नितीश, मांझी और बिहार
पता है न आपको बिहार की राजनीति में उथल पुथल को 4 दिन होने जा रहे हैं अभी तक महामहिम राजयपाल महोदय ने कोई भी निर्णायक कदम नहीं उठाया है, राजनीतिक सरगर्मी बिहार में अस्थिरता का माहौल बना रही है और इस अस्थिरता के मुख्या दो कारण हैं। १) राजनीतिक कारण २) सैंविधानिक कारण
पहला राजनीतिक कारण है जीतन राम मांझी की गूगली, पहले आपको बता दूँ की जीतन राम मांझी की सामाजिक पृष्ठ भूमि अत्यंत महादलित की है शायद इस समाज के लोगों के लिए मांझी का बिहार का मुख्यमंत्री बनना वास्तव में उस समाज के लिए गर्व की बात थी, जब बिहार विधानसभा में सर्वसहमति से मांझी को मंत्रिमंडल का नेता चूना गया तो भा.ज.पा. ने उनको कठपुतली मुख्यमंत्री कहते हुए उनका विरोध किया था। मांझी का कार्यकाल पूर्ण रूप से बिहार में कूशासन को प्रोत्साहित करता रहा हर दिन एक नया विवादित बयान देते रहे और ब्रांड बिहार को अपने वयक्तिगत मुनाफे के लिए इस्तेमाल करते रहें । हद तो तब हो गयी जब उन्होंने अपने आप को नितीश से बड़ा महादलितों का नेता घोषित कर दिया और इसी बीच भा.ज.पा से साठ गाठ कर गैर-जदयू सरकार बनाने की कवायद शुरू कर दी । मांझी जी लालच बुरी बला है कहीं ऐसा ना हो की नितीश कुमार पटल पे बहुमत सिद्ध कर दे और भा.ज.पा. मांझी को नाँव बनाकर सवार हो जाये ।राजनीती में भी नैतिकता नाम की कोई चीज़ ही नहीं बची लालच और क्रूरता की राजनीति हो रही है आजकल
आस्चर्य होता है, नितीश कुमार का मांझी के साथ 20 वर्षों से भी अधिक का कार्यकाल रहा है फिर मांझी के कार्यशैली और व्यवहार से नितीश क्यों नहीं अवगत हो पाएं? या फिर नितीश ने भी अन्य पार्टियों की तरह महादलित कार्ड खेला था जो की पूर्ण रूप से उनके लिए ही घातक साबित हुआ ।
सैंविधानिक कारण के मुख्य रचेता महामहिम राज्यपाल जी हैं जो की भा.ज.पा. पृष्ठ भूमि के हैं। यह पद एक सैंविधानिक और गरिमा वाला पद है टिप्पणी करना शायद उचित नहीं होगा फिर भी ना जाने क्यों इनके पहले के कार्यकाल को देखते हुआ कम ही भरोसा है की कोई निर्णय लिया जायेगा।
आशा करते है की बिहार जल्दी ही नितीश जी के नेर्तित्वं में विकास के पटरी पर लौट आये ।
जय बिहार ।